पीपल वृक्ष का दृश्य अर्थात पते से भरा वृक्ष

नित्य एक बार आप पीपल से गले मिल कर देखें ,आपको उसके जीवंत होने की अनुमति होगी और आप शांत होते जाएंगे ।
यहां पीपल वृक्ष के पत्ते की आकृति की चर्चा करते हैं । हम पीपल के पत्ते को सामने रखते हैं तो पाते हैं इसकी रचना लट्वाकार ,शंक्वाकार, हृदय की आकृति जैसी है।पत्ते के दर्शन करने मात्र से हृदय तरंगित होने लगता है। पत्ते का हिलना मन को शांति व आनन्द प्रदान करता है। पीपल के पत्ते का औषधिय गुणों की चर्चा करें तो एक स्वयं सिद्ध व्यावहारिक तथ्य सामने आया है,कि उसके एक मुलायम पत्ते को खाली पेट रोज खाएं तो हृदय रोग से राहत ,अपच ,हुआ की कमी एंव सिर दर्द जैसी बीमारी में बिना पैसे के आप अपने समेत कई लोगों को स्वास्थ्य लाभ पहुंचा सकते है।
अब अधिकांश लोग पानी ,खैनी , गुटका , आदि का त्याग कर पीपल के पत्ते खाते नजर आ रहे हैं, पूछने पर बोलते हैं कि पल पल खाओ पीपल पत्ता।
प्रेमी प्रेमिका का प्रेम पीपल पत्ते पर लिखे जाने की जानकारी प्रकाश में है। किसी फिल्मी संगीत की प्रथम पंक्ति को याद करें तथा -पिपरा के पत्तवा पर लिख दे दिल की बात, हवा में संदेशा लाए पिया जी का आज इसी तरह अन्य पंक्तियां यथा-पीपल का पत्ता लहर लहर लहराए रे, पीपल के पत्ते का शिरा जाल पूर्णतः स्पष्ट है। इसलिए आज कल नव वर्ष की शुभकामनाएं , वैवाहिक कार्ड , उत्सव आदि पर पीपल का तोरणद्वार , पीपल शिराजाल देवता की आकृति चिपका कर शुभकामनाएं -पत्र बाजार में उपलब्ध है। अंततः यह स्पष्ट रूप से स्वीकार करने की बात है कि दिल से दिल मिलाने का माध्यम पीपल का पत्ता है। पीपल के पत्ते के हिलने की तुलना मन से की जा सकती है।जिस तरह पीपल का पत्ता हमेशा हिलता रहता है उसी तरह चंचल मन भी आगे पीछे चलता रहता है। कहते हैं कि पीपल पात सरिस मन डोला । पीपल के पत्ते अर्द्ध पारदर्शी होते हैं। सुर्य की प्रकाश किरण पीपल के ऐ से छनकर आती है इसलिए भीषण गर्मी में इस पेड़ के नीचे शीतल छांव मिलती है । पीपल के पत्ते में प्रकाश संग्रहण होने का प्रमाण से आज बजार में सोलर प्लेट है। पीपल की पत्ती की जालिकावत शिराएं ही सर्वाधिक प्राण वायु का स्तोत्र बनने का श्रेय पीपल वृक्ष को दिलाती है।

डॉ धर्मेंद्र कुमार

पीपल नीम तुलसी अभियान

डॉ धर्मेंद्र कुमार

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