भारत का राष्ट्रीय पेड़ हैं बरगद,जिसका वैज्ञानिक नाम #Ficus_Benghalensis है….हमारे देश मे बरगद के अनेक अलग अलग रूप देखे जा सकते हैं….बरगद को राष्ट्रीय वृक्ष का दर्जा 1950 में दिया गया था..।

आखिरकार बरगद को ही क्यूँ चुना,यह सवाल सबके मन मे होगा..!!
बरगद एक ऐसा वृक्ष हैं जिसकी उम्र हजारों वर्ष हो सकती हैं,यदि इसे नुकसान नही पहुंचाया जाए तो यह कभी नष्ट नही होने वाला वृक्ष हैं…इसे अक्षय वट भी कहा गया हैं…।

वटसावित्रीअमावस्या के दिन महिलाएं इसकी पूजा कर आशीर्वाद पाती हैं..वट हिंदू धर्म के सभी तीन देवताओं का प्रतीक है – भगवान ब्रह्मा इस वृक्ष की जड़ें हैं, भगवान विष्णु छाल हैं तो भगवान शिव शाखाएं हैं…।

जिस वृक्ष को पूजा जाता हो जिससे लंबी उम्र की कामना की जाती हो वह वृक्ष मानव जाति के लिए कितना लाभकारी होगा यह हम समझ सकते हैं… ।

आज #विज्ञान इसके स्वरूप को जानकर इसका लाभ लेना चाहता है… तो वहीं आयुर्वेद ने इसे हजारो वर्षो पहले ही मानव स्वास्थ्य के लिए लाभकारी सिद्ध किया है..।

आदिवासी अंचल में #घाव होने पर इसके पत्तो को गर्म कर बाँधा जाता है, जो शीघ्र ही घाव को भर देता है…इसकी जड़ो में एंटी-आक्सीडेंट, चेहरे की #झुर्रियों को हटाता है…फ़टी एड़ियो में इसका दूध लगाने पर एड़िया जल्दी ठीक हो जाती है…।

बरगद की छाल, दूध, पत्ते, कोपलें और जड़ें सभी बहुपयोगी हैं,
वहीं इसके नीचे की मिट्टी अनेक गुणों से परिपूर्ण होती हैं जो जैविक खाद का काम करती हैं… #पक्षी अपने बसेरे के लिए बरगद को अधिक पसंद करते हैं…. बरगद में सैंकड़ो गुण हैं, बस इसे जानने की आवश्यकता है।

बरगदकीमिट्टी

बरगद की महत्ता उसके नीचे पलने वाली मिट्टी ही अपने गुणों से बता देती हैं…।

बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी में कुल 13 सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं जो खेती के लिए काफी लाभदायक हैं। इसमें अजोटोवेक्टर, बैसिलस, अजोसपीरल्म, सुडोमोनास, नाइट्रोजन फिक्सर, पेनिसिलियान, एसपरजीलस, ब्ल्यू ग्रीन एल्गीएसीट, फंगस, मोल्डस प्रोटोजोआ, एकटीनोमाइसटीज आदि पाए जाते हैं।

पंचगव्य, जीवामृत, बीजामृत युक्त पानी, मटका खाद, नाडेप कम्पोस्ट, गोमूत्र कम्पोस्ट और टी संजीवक आदि को जैविक खाद कहते हैं।

बरगद के नीचे की मिट्टी एक उतम जैविक खाद है। यह मिट्टी फसल के लिए गुणकारी है और इसे पेड़ के नीचे से 6 महीने में एक बार निकाल कर फसल में प्रयोग कर सकते हैं।

बरगद के नीचे की जमीन को खाद की तरह प्रयोग किया जाता है
शोध में इस मिट्टी को फसल के लिए उत्तम जैविक खाद पाया है।

इससे पैदावार की बढ़ोतरी, अच्छी गुणवत्ता, मजबूत तना और रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है। जमीन में नमी बरकरार रहती है।
पेड़ पर पक्षी मल-मूत्र करते हैं जो नीचे गिरता है जो मिट्‌टी में पोषक तत्व बढ़ाता है..।

अभी तक केंचुआ खाद को ही जैविक खाद माना जाता है।
बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी एक उतम जैविक खाद है..।
उन्होंने राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र, गाजियाबाद के डॉ. जगत सिंह और राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवंौ विकास प्रतिष्ठान नासिक के डॉ.पीके गुप्ता के मार्ग दर्शन में किए शोध में पाया कि यह मिट्टी फसल के लिए फायदेमंद है..।
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आम आवम अपने राष्ट्रीय वृक्ष बरगद को.बढाऐ यो आने वाली पिडि को सुरक्षित

लेख -डाँ धर्मेंद्र कुमार

संस्थापक
पीपि नीम तुलसी अभियान
पटना ,बिहार ।

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