प्रेम और प्रेरणा की शाम: ‘मॉय मॉय’स सर्किल’ के पाठ ने दिव्यांग बच्चों के माता-पिता में जगाई नई उम्मीदलतिका फाउंडेशन में सुचित्रा शेनॉय की पुस्तक के अंशों को सुनकर श्रोता हुए भावुकदेहरादून,

13 नवंबर: आज शाम लतिका फाउंडेशन के वसंत विहार केंद्र में आयोजित “An Evening with Moy Moy’s Circle” कार्यक्रम प्रेम, साहस और समुदाय की एक अविस्मरणीय गाथा बन गया। लेखिका सुचित्रा शेनॉय ने जब अपनी मार्मिक पुस्तक “Moy Moy’s Circle: A True Story of Love, Disability and the World we can Build Together” के अंश पढ़े, तो वहां मौजूद हर व्यक्ति, विशेषकर दिव्यांग बच्चों के माता-पिता, की आंखों में आशा और प्रेरणा की एक नई चमक दिखाई दी।यह कार्यक्रम सिर्फ एक पुस्तक पाठ नहीं था, बल्कि यह एक उत्सव था उस असाधारण जीवन का, जिसने ‘लतिका’ जैसी संस्था को जन्म दिया। इस शाम की सबसे खास बात दिव्यांग बच्चों के साथ उनके माता-पिता की बड़ी संख्या में उपस्थिति थी, जिनके लिए मॉय मॉय की कहानी सिर्फ एक कथा नहीं, बल्कि उनके अपने जीवन, संघर्षों और जीती गई छोटी-बड़ी लड़ाइयों का प्रतिबिंब थी।अभिभावकों के लिए बनी प्रेरणा की स्रोत: कार्यक्रम के दौरान, कई माता-पिता ने एक-दूसरे के साथ अपनी भावनाओं को साझा किया। उन्होंने मॉय मॉय और उसकी माँ जो चोपड़ा मैकगोवन की यात्रा में अपनी खुद की चुनौतियों और सफलताओं की झलक देखी। कहानी सुनकर उन्हें यह महसूस हुआ कि वे इस सफर में अकेले नहीं हैं। एक अभिभावक ने भावुक होकर कहा, “यह कहानी सुनकर हमें बहुत हिम्मत मिली है। यह जानना कि किसी ने इस रास्ते पर चलकर इतना बड़ा बदलाव लाया, हमें अपने बच्चों के भविष्य के लिए और भी मज़बूती से खड़े रहने की प्रेरणा देता है।”पुस्तक के अंश और लेखिका का संदेश: सुचित्रा शेनॉय ने अपनी प्रभावशाली आवाज़ में पुस्तक के उन अंशों को जीवंत किया, जो प्रेम, लचीलेपन और एक समावेशी समुदाय के निर्माण की बात करते हैं। उन्होंने बताया कि कैसे यह पुस्तक राजमोहन गांधी और रामचंद्र गुहा जैसी हस्तियों द्वारा सराही गई है और यह सिर्फ मॉय मॉय की कहानी नहीं, बल्कि हर उस परिवार की कहानी है जो Disabilities (दिव्यांगता) की चुनौतियों का सामना कर रहा है।लेखिका सुचित्रा शेनॉय ने कहा, “मॉय मॉय की विरासत देखभाल और करुणा की है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य इसी विरासत को आगे बढ़ाना है और उन सभी परिवारों को यह संदेश देना है कि वे अकेले नहीं हैं। उनके चारों ओर भी एक ‘सर्किल’ यानी एक समुदाय मौजूद है।”लतिका फाउंडेशन: एक सपने की हकीकत: यह पुस्तक लतिका संस्था के जन्म की कहानी भी है, जो 30 साल पहले केवल तीन छात्रों के साथ शुरू हुई थी और आज हजारों बच्चों का जीवन बदल रही है। पुस्तक की बिक्री से प्राप्त होने वाली सारी रॉयल्टी लतिका के काम को समर्पित की जाएगी, ताकि मॉय मॉय का सपना हमेशा जीवित रहे।यह शाम इस बात का प्रमाण थी कि कैसे एक कहानी दिलों को जोड़ सकती है, आँसुओं को पोंछ सकती है और एक बेहतर, दयालु दुनिया बनाने के लिए नई ऊर्जा प्रदान कर सकती है।लतिका फाउंडेशन के बारे में: लतिका फाउंडेशन एक गैर-लाभकारी संस्था है जो पिछले तीन दशकों से विकासात्मक Disabilities (दिव्यांगता) वाले बच्चों और उनके परिवारों को सशक्त बनाने के लिए काम कर रही है। संस्था उच्च-गुणवत्ता, सस्ती देखभाल, शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और कानूनी सहायता प्रदान करती है।इस प्रेरणादायक कार्यक्रम में दिव्यांग बच्चों के 120 अभिभावकों ,लतिका की कार्यकारी निदेशक जो चोपड़ा मैकगोवन के साथ ममता गोविल, सुमिता नंदा, डॉ. आरती, ओजस्विता, संजय सिंह और गरिमा सेन व शहर की कई जानी-मानी हस्तियां शामिल हुईं, । उनकी उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी गरिमामय बना दिया।

लतिका संस्था संपर्क सूत्र: रिजवान अली –

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *