
“सिस्टम की चुप्पी: हरियाणा से उठती भ्रष्टाचार लौ जिसी तपिश पूरे देश में दिख रही “हरियाणा में हाल के दिनों में एक IPS अधिकारी और फिर एक ASI की आत्महत्या, उसके बाद मुख्यमंत्री सचिवालय में कार्यरत महिला IAS अधिकारी से जुड़ा विवाद — यह सब एक संयोग नहीं, बल्कि सिस्टम की टूटती आत्मा का संकेत है।ये घटनाएँ बताती हैं कि देश में ब्यूरोक्रेसी और सत्ता का गठबंधन कितना गहरा और घातक हो चुका है। भ्रष्टाचार अब किसी व्यक्ति की कमज़ोरी नहीं रहा, बल्कि एक संरचना बन चुका है, जिसे राजनीतिक संरक्षण, पद का लालच और दबाव मिलकर पोषित कर रहे हैं।आज ईमानदारी “जोखिम” बन गई है और चुप रहना “सुरक्षा”। जो अधिकारी सच बोलता है, उसे “असहयोगी” ठहराया जाता है; जो झुक जाता है, वही “योग्य” कहलाता है।हर आत्महत्या सिर्फ व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि एक सिस्टम की विफलता की गवाही है। जब उच्च पदों पर बैठे अफसर मानसिक और नैतिक दबाव में अपनी जान देने को मजबूर होते हैं, तो यह सवाल उठना लाजमी है — क्या हमारा प्रशासनिक ढांचा मनुष्य को जीवित रख सकता है या सिर्फ फाइलों को?आज ज़रूरत है प्रशासनिक स्वतंत्रता, मानसिक स्वास्थ्य सहायता और राजनीतिक पारदर्शिता की।अगर सत्ता और सिस्टम की यह साझेदारी ऐसे ही चलती रही, तो आने वाले दिनों में वर्दी और कुर्सी दोनों प्रतीक मात्र रह जाएँगे — सेवा नहीं, समझौते के।
