हाइवे पर हादसे और परेशान पुलिस-

सड़कों मुख्य मार्गों पर मंडराते गौवंश बने हादसे का कारण, जिम्मेदारी से मूहँ चुराते जिम्मेदार, साधन संसाधनों के अभाव में असहाय बनी पुलिस

सहाब पत्रकारों पर अंकुश लगेगा तो आईना कौन दिखायेगा ?

सहाब पत्रकारों पर अंकुश लगाओगे तो आईना कौन दिखायेगा, वो भी तब जब सच के समर्थन और गलत के विरोध में पत्रकार अपनी कलम निष्वार्थभाव से चला रहा हो, तब पत्रकारों को शासन की छवि धूमिल करने का दोषी माना जाये तो यह अभिव्यक्ति की आजादी नहीं बल्कि बंदिश समान होगा । मेरे ये शब्द किसी द्वेषभाव से नहीं बल्कि हालातों को सुधारने और सही कार्यों को जनजन तक पहुचने में अड़चन बने यूपी की संत सरकार को आइना दिखाने के लिये प्रयोग किये गये हैं, जिन्हें बजाय अन्यथा लेनें के सकारात्मकता से लेना अत्यंत जरूरी हैं । अन्यथा अव्यवस्थाओं की अनदेखी से समस्याओं का अंबार लगेगा और लाख पर्दा डालने के बाद भी प्रशासन से लेकर शासन को किसी शायर की इस शायरी के तहत जलालत झेलनी पड़ेगी, “सच्चाई छुप नहीं सकती बनाबटी उसूलों से खुशबू आ नहीं सकती कागज के फूलों से”। बरहाल यहाँ हम एक ऐसे विषय पर बात कर रहे हैं जिस पर शायद किसी का ध्यान ही नहीं हैं । विषय हैं “हाइवे पर हादसे और परेशान पुलिस” …

समझदार को इशारा और नासमझ पूरी रामायण के बाद भी नहीं समझेगा कि सीता मईया का बाप कौन था ? बरहाल सड़कों मुख्य मार्गों पर मंडराते गौवंश बन रहे हादसों का कारण और जिम्मेदारी से मूहँ चुराते जिम्मेदार, साधन संसाधनों के अभाव में असहाय बनी पुलिस से सम्बंधित शेष खबर का शीघ्र खुलासा करेगी बबलू चक्रबर्ती कलम

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