देहरादून, भारत 13 नगर, 2024 विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों और वयम्कों के लिए शिक्षा और थेरेपी, कानूनी सेवा पान करने के लिए समर्पित देहरादून की एक स्वगंगेवी संस्था, लतिका ने होटल सेफगेन नीफ में सफलतापूर्वक गमात्रेची स्कूल बनकर गोजन किया। गह अभिनय कार्यक्रम मुख्यधारा के स्कूलों में रागावेली जिला को आगे बहाने के लिए आवश्यकताओं और रणनीतियों पर विचार-विमर्श के लिए शिक्षकों, नीति निर्माताओं, और देहरादून के 30 पतिक्षित स्कूलों के प्रधानाचार्यों व शिक्षकों को एक साथ लेकर किया गया।13 नवंबर को आयोजित इस कार्यक्रम में विशेष आवश्यकताओं वाले वर्षों के लिए सुलभ, सहायक और समृद्ध चीखने के वातावरण को बचाने के तरीकों पर चर्चा हुई।कार्यक्रम में देहरादून के 30 प्रतिक्षित स्कूलों के प्रधानाचार्यों और शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों, और पेशेवरों, ने भाग लिया।

इस आयोजन में पेरणादायक प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत अनुभयों ने शिक्षा में समावेशिता के महत्वकार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं: नक्ता1. श्रीमती चारु शर्मा, 2024 की राष्ट्रीय सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार विजेता और नई दिल्ली के डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय विद्यालय की प्रधानाचार्य, ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों का परिचय देते हुए बताया कि स्कूल अध्यापकों व स्कूल चलाने वालों की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है, और उनके प्रयास से एक समावेशी वातावरण बनाया जा सकता है, जो न केवल विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए फायदेमंद है, बल्कि अन्य छात्रों के लिए भी सहानुभूति और संवेदनशीलता का विकास करता है। उनकी सोच है कि इस प्रकार की समावेशिता से स्कूल का वातावरण और सुंदर व सकारात्मक बनता है।2. संचित बच्चा, एक गुवा वयस्क जिसको आटिज्म है और वर्तमान में कक्षा 11 के छात्र, ने मुख्यधारा की स्कूली शिक्षा में अपनी यात्रा के अनुभव साझा किए, इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि कैसे समावेशी प्रथाओं ने उनके शैक्षिक और सामाजिक विकास का समर्थन किया। उन्होंने कहा की स्कूल अगर हमारी जरूरत के मुताबिक खुद बदलकर हमें शिक्षा दे तो हर कोई छात्र प्रगति कर सकता है बस मौका दिए जाने और छात्र की विशेष आवश्यकता के साथ उसको स्वीकार किये जाने की जरूरत है।3 . निकोला टांसले, यूनाइटेड किंगडम से आई और यूनाइटेड किंगडम व भारत में समावेशी शिक्षा में व्यापक अनुभव रखने वाली एक शैक्षिक सलाहकार निकोला टांसले, ने समावेशी शिक्षा पर वैश्विक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि स्कूल लीडर्स, अध्यापक प्रिंसिपल समावेशिता को बढ़ावा देने में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और कैसे विशेष आवश्यकता वाले छात्र स्वयं एक अधिक समावेशी स्कूल वातावरण बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

चर्चाओं ने इस बात को रेखांकित किया कि स्कूलों, सरकारी निकायों और समुदायों का समर्थन समावेशी शिक्षा को वास्तविकता में बदलने के लिए अत्यावश्यक है। वक्ताओं ने शिक्षक प्रशिक्षण, स्कूल के बुनियादी ढांचे की पहुंच, और स्कूलों में स्वीकृति की संस्कृति की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि समावेशिता न केवल विकलांग बच्चों के लिए फायदेमंद है, बल्कि सभी छात्रों के लिए एक समृद्ध और विविधतापूर्ण शिक्षा अनुभव प्रदान करती है।

आगे की दिशा :

लतिका समावेशी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और भविष्य में स्थानीय स्कूलों, नीति निर्माताओं, और अभिभावकों के साथ मिलकर इस दिशा में कार्य करने की योजना बना रहा है। यह पहल एक ऐसे शिक्षा तंत्र की. ओर कदम है जहाँ हर बच्चा मूल्यवान, समर्थित और अपने पूरे सामर्थ्य को प्राप्त करने के लिए सक्षम महसूस कर सके।

लतिका एक नजर में कार्यक्षेत्र

लतिका देहरादून, भारत में स्थित एक अग्रणी स्वयंसेवी संगठन है, जो बच्चों और वयस्कों के साथ काम करता है। एक संसाधन केंद्र के रूप में, लतिका प्रारंभिक शिक्षा के अवसर, आजीविका विकास, शिक्षा, प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम प्रदान करता है। लतिका का अधिकार-आधारित दृष्टिकोण अन्याय को चुनौती देता है और यह दर्शाता है कि समावेशिता कैसे एक अधिक समता मूलक समाज का निर्माण कर सकती है। संगठन का विश्वास है कि जब हम सबसे कमजोर वर्ग की योजनाएँ बनाते हैं, तो पूरी दुनिया सभी के लिए बेहतर बनती है। लतिका दिव्यांग लोगों, अभिभावकों, पेशेवरों और उन सभी का स्वागत करता है जो समावेशिता को बढ़ावा देने के इसके मिशन में शामिल होना चाहते हैं।

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