
गंभीर प्रवृत्ति के मुकदमे वापस लेना प्रदेश में अपराध बढ़ने का कारण -मोर्चा
#हत्या का प्रयास, जालसाजी,लूट- खसोट, फर्जीवाड़ा में सरकारों को दिखा जनहित!
#कठपुतली बन चुके राजभवन से की मामले में हस्तक्षेप की मांग |











विकासनगर- जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि प्रदेश में लूट- खसोट, जालसाजी, फर्जीवाड़ा,हत्या का प्रयास,कूट रचित दस्तावेज तैयार कर लोगों की संपत्ति हड़पने, लोगों को डरा धमकाकर भूमि पर जबरन कब्जा करने, चार सौ बीसी, फर्जी तरीके से डिग्रियां हासिल करने आदि मुकदमों को वापस लेने में सरकारों को जनहित दिखता है, जिसकी वजह से प्रदेश में माफियाओं , बदमाशों और अपराधों की संख्या में काफी इजाफ़ा हुआ है | लगभग सभी सरकारों द्वारा इनके प्रति सॉफ्ट कॉर्नर रखा गया है | सरकार धारा 321 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए सिर्फ जनहित में ही मुकदमा वापस ले सकती है, लेकिन इसका बड़ी मात्रा में दुरुपयोग हो रहा है | जनता के हितों को लेकर किए गए आंदोलनों के मामले में दर्ज मुकदमों को ही जनहित समझा जा सकता है, लेकिन यहां तो बदमाशों के ही मुकदमे वापस हो रहे हैं, हुए हैं, जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है | हैरान करने वाली बात यह है कि इन मुकदमों में अभियोजन ,पुलिस- प्रशासन सभी द्वारा मुकदमे वापसी का विरोध किया जाता रहा है, लेकिन सरकारों द्वारा नियम- कानून को तोड़ा जाता रहा है | सरकारों द्वारा मुकदमा वापस लेने से उन प्रभावित व्यक्तियों के साथ अन्याय होता है,जिन्होंने लुटेरे- बदमाशों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था | मा. उच्च न्यायालय द्वारा भी नवंबर 2012 के द्वारा एक जनहित याचिका में संबंधित न्यायालयों को सरकार द्वारा लिए गए मुकदमे वापसी के मामले में धारा 321 (जनहित संबंधी) मामलों में ही जनहित का ध्यान रखते हुए केस डिसाइड करने के निर्देश दिए गए थे | इस संबंध में मोर्चा द्वारा कल ही राजभवन से ,जोकि वर्तमान में सरकार की कठपुतली बन चुका है, से गंभीर प्रवृत्ति के मुकदमे वापस लेने के मामले में सरकार को हिदायत देने व निर्देशित करने की मांग की |