
इतिहास के पन्नों पर दर्ज है रघुनाथ सिंह नेगी का संघर्ष हर जांच में शासन को देनी पड़ी क्लीन चिट, जांच में निकले बेदाग

विकासनगर। प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार की लड़ाई को लेकर उन्होंने उच्च न्यायालय में वर्ष 2014 में कई जनहित याचिकाएं दाखिल की। न्यायालय में हुई नियुक्तियों में फर्जीवाड़े को लेकर मोर्चा खोला। जिस पर उच्च न्यायालय व सरकार ने मिलकर उनके खिलाफ जांच कराई, लेकिन जांच में ईमानदारी के चलते उन्हें शासन को क्लीन चिट देनी पड़ी। तत्कालीन राज्यपाल डॉ. अजीज कुरैशी के खिलाफ भी मोर्चा खोला। राजभवन ने खिन्न होकर गोपनीय जांच कराई। जिसमें वे बेदाग साबित हुए। राज्यपाल डॉ. केके पॉल के खिलाफ भी मोर्चा खोला। राजभवन ने गोपनीय जांच कराई। जिसमें वे बेदाम साबित हुए। भाजपा सरकार में गढ़वाल मंडल विकास निगम के उपाध्यक्ष रहे। अपनी ही सरकार के भ्रष्टाचार एवं कर्मचारियों के प्रति सरकार की उदासीनता को लेकर पद से इस्तीफा दे दिया।

संघर्ष की बानगी*
जनता के लिए किए गए संघर्ष के लिए उन्हें कई मुकदमें भी झेलने पड़े। पुलिस की लाठी भी खानी पड़ी। जेल भी गए। जनता के अधिकारों की लड़ाई के लिए कई बार गिरफ्तारियां भी दीं।
ऐसा रहा राजनीतिक सफर *